ओम जय पार्वती माता
ओम जय पार्वती माता,
जय जय पार्वती माता।
हर हर गौरी शिव से मिले,
संसार में इच्छा पूरी होता।
जो जन तुमको ध्याता,
मनवांछित फल पाता।
ओम जय पार्वती माता,
जय जय पार्वती माता।
मातु तुम्हारी आरती,
जो कोई नर गाता।
गंध, चंदन, बिल्वपत्र,
जो गाकर मुराता।
दास तुम्हारे श्री राम,
भक्त श्री हनुमाना।
ओम जय पार्वती माता,
जय जय पार्वती माता।
अमरपुरी तुम रानी,
महाकाली तुम्हारी।
जो नर नारी चाहता,
फल पूर्ति हो तुम्हारी।
तुम पाताल-निवासिनी,
वैकुंठ-वासिनी।
ओम जय पार्वती माता,
जय जय पार्वती माता।
भारती यह आरती,
जय जय गिरिराजा।
जो नर नारी तुमको ध्याता,
शिव-शंकर विधाता।
ओम जय पार्वती माता,
जय जय पार्वती माता।
हर हर गौरी, शिव से मिले,
संसार में इच्छा पूरी होता।
आप इस आरती को नियमित रूप से पढ़ सकते हैं, और माता पार्वती से आपकी भक्ति, और सुख-शांति की कृपा की प्राप्ति होगी है।
माता पार्वती के मंत्र|Mata Parvati Ka Mantra
माता पार्वती के मंत्रों विभिन्न मंत्र हैं जो अपने आप में ही बहुत उपयोगी और शक्तिशाली है। उनके प्रयोगों से बहुत से दुख दूर होते हैं। आज इस पोस्ट में उन्ही की मंत्रों के बारे में आप जानेंगे। गायत्री मंत्र, दुर्गा सप्तशती मंत्र, पार्वती बीज मंत्र इत्यादि मंत्र सभी के लिए बहुत ही प्रभावी है। यह सभी मंत्र बहुत ही कारगर है। इनके जाप से आपको अनेकों लाभ मिलते हैं। इन मंत्रों से माता पार्वती की विशेष कृपा मिलती है। जीवन के सारे कष्ट दूर होते हैं। चलिए जानते हैं वो सारे मंत्र।
माता पार्वती के प्रमुख मंत्र हैं:
1. यह माता पार्वती की गायत्री मंत्र है। मंत्र के जप करने से माता पार्वती की कृपा और आशीर्वाद हमेशा आप पर बनी रहती है।
“ॐ उमायै विद्महे विष्णुपत्न्यै च धीमहि। तन्नो देवी प्रचोदयात्॥“
2. माता पार्वती का बीज मंत्र के जाप से जातक की शक्ति बढ़ती है और उसे जीवन में सुरक्षा प्राप्त होती है। तो अगर आप अपने जीवन में शक्ति और अपने जीवन की सुरक्षा चाहते हैं तो आप इस मंत्र की जाप कर सकते हैं।
“ॐ ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।”
3. यह माता पार्वती का अष्टोत्तरशतनामावली मंत्र है। अगर आप अपने जीवन में माता पार्वती की कृपा प्राप्त करना चाहते है तो यह मंत्र आप जाप कर सकते है। और माता की विशेष कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
“अनुरधा, अपर्णा, वैश्या, शिवप्रिया।
ऊर्जिता, यष्टिरूपा च, राजपुत्रप्रियंकरी।।”
4. दुर्गा सप्तशती मंत्र का पाठ बहुत ही शक्तिशाली होता है। जिससे यह पाठ करने वाले जातक को भी माता पार्वती के दृष्टि से शक्तिशाली माना गया है।
“ॐ ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।
आपकों हर एक मंत्रो को ध्यान से करना चाहिए। एक बार मंत्रो का सही अध्ययन कर लें फिर इन मंत्रों का उच्चारण आप अपने तरीके से भी कर सकते हैं। इनमें आपकी भक्ति विशेष होती है और आप कौन सा मंत्र किस उद्देश्य से बोल रहे है वह भी अति आवश्यक है।
माता पार्वती के 108 नाम
माता पार्वती के 108 नाम प्रस्तुत है:
1. अग्निज्वाला
2. अम्बे
3. अर्चिता
4. अनघा
5. अमृताः
6. अक्षरापरमेश्वरी
7. आद्या
8. आत्मा
9. आदितिः
10. आर्या
11. अप्यया
12. अचिन्त्या
13. अच्युतप्रिया
14. आत्मसमर्पणपूर्णा
15. अद्भुतसुंदरी
16. अमृतगद्या
17. अनुग्रहप्रदा
18. आचला
19. अच्युतप्रिया
20. आश्रितवत्सला
21. आश्रयदात्री
22. आकाशमण्डलरूपिणी
23. अव्यक्ता
24. अरुणप्रभा
25. अम्बुजेक्षणा
26. अप्रमेया
27. अनन्तविद्या
28. आदित्यसुता
29. अपारजिता
30. आत्मसमर्पणपूर्णा
31. आत्मनिर्मला
32. अनिला
33. आचला
34. आत्मविद्या
35. अक्षया 1
36. अपारा
37. आकाशगमिनी
38. आर्या
39. आद्याशक्ति
40. अनामया
41. आत्मनिर्मला
42. आत्मनिवारिणी
43. अक्षरा
44. आदिशक्ति
45. आनन्दरूपिणी
46. आनन्दविग्रहा
47. आपारा
48. अक्षया
49. आप्तकामदा
50. अर्चिता
51. आर्या
52. आर्यकामदा
53. आद्या
54. आप्तबाणधारिणी
55. अपारगुणसागरा
56. अर्चिता
57. आदिरूपिणी
58. आद्याशक्तिरूपिणी
59. अजा
60. अपार्थकरी
61. आत्मविद्या
62. आत्मगुप्ता
63. आर्या
64. आश्रयदात्री
65. अद्भुतसुंदरी
66. वनदुर्गा
67. अद्वया
68. अक्षया
69. आकाशगमिनी
70. आत्मनिवारिणी
71. आत्मरूपिणी
72. आत्मनिर्मला
73. आकाशवासिनी
74. अप्रमेया
75. अर्या
76. अद्भुतसुंदरी
77. आकाशमण्डलरूपिणी
78. आकाशगमिनी
79. आत्मविद्या
80. आकाशवासिनी
81. आत्मरूपिणी
82. आर्या
83. आत्मनिर्मला
84. अनिन्दिता
85. आदित्यसुता
86. आपारा
87. आकाशमण्डलरूपिणी
88. आकाशगमिनी
89. आर्या
90. अपारा
91. आद्याशक्तिरूपिणी
92. अक्षया
93. आत्मनिर्मला
94. आकाशवासिनी
95. आद्या
96. आत्मविद्या
97. आकाशगमिनी
98. शैल पुत्री
99. अमेया
100. अभव्या
101. अहंकारा
102. अएंदरी
103. बुद्धि
104. ब्राह्मी
105. बुध्हिदा
106. सावित्री
107. सुंदरी
108. शिवदूती
माता पार्वती और माता सती
जब बात आती है कि माता पार्वती और माता सती एक हैं या फिर नहीं है? तो दोस्तों अब मै आपको इसका जवाब बता देती हूं तो माता सती और माता पार्वती दोनों एक ही है। देवी सती की यहां हमे अनेक रूप देखने को मिलते हैं। जिनमे से एक हम सभी अच्छे से जानते है वो माता पार्वती जी है। जो कि भगवान शिव शंकर जी की पत्नी का रूप है।
माता सती के पिता प्रयाग राजा दक्ष थे। माता सती प्रयाग राजा दक्ष की पुत्री थीं। बाद में उनका विवाह भगवान शिव के साथ होता है। फिर माता सती भगवान शिव जी की पत्नी देवी पार्वती के रूप में जानी जाती हैं।
अब जानते है कि माता सती माता पार्वती आखिर बनी कैसे? यह सवाल हर किसी के में में जरूर आता है जब बात माता पार्वती और माता सती के बारे में हो तो। बात उस समय की बात है जब राजा दक्ष अपने यज्ञ में अपने पुत्र-पत्नी का अपमान करने के पश्चात माता सती ने अपनी योग के गुणों से खुद को आग धारा कर अपने पूरे शरीर को भस्म कर दिया था।
जिसके बाद, भगवान विष्णु ने यह सब देख कर बाद ने माता सती के सारे अवशेषों को विभिन्न अलग अलग स्थानों पर गिराए और उनका शवरूप बनाया। जिसके बाद उन शवरूपों में से ही उन्ही भूमियों पर पार्वती जो माता सती का शवरूप था उन्हीं भूमियों से अवतारित हुईं थीं। जिस जगह माता पार्वती का अवतार हुआ उसे हिमाद्रि (हिमाचल प्रदेश) में माता पार्वती कहा जाता है। इसलिए माता पार्वती माता सती की ही अवतार हैं।
माता पार्वती के कितने रूप है|Mata Parvati Ke Kitne Roop Hai
दोस्तों माता पार्वती के तो अनेक रूप बताए गए हैं पर जो प्रमुख रूप है वह नीचे बताए गए हैं। क्योंकि विभिन्न पुराणों और शास्त्रों में यह रूप वर्णित हैं। जिनमे से इन रुपों की पूजा हमलों हमेशा दशहरा में करते हैं, और माता का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं। यह मैंने आपको माता पार्वती के 5 रूप के बारे में जानकारी दी है।
1. पार्वती माता का समय रूप पार्वती ही है जिसको की हम सभी लोग जानते हैं। जो कि भगवान शिव की पत्नी हैं होने के साथ साथ भगवान श्री गणेश और कार्तिकेय जी की माता भी हैं। और जो भगवान शिव जी के अर्धनारीश्वर स्वरूप में उपस्थित होती हैं।
2. माता काली शक्ति की एक अद्वितीय स्वरूप हैं जिनकी पूजा कालरात्रि के रूप में हम सभी करते हैं।
3. मात दुर्गा भी पार्वती माता का एक रूप है। जिनको हमलोग शक्ति कि देवी के रूप में जानते हैं। जिन्होंने महिषासुर का संहार किया था। यह माता पार्वती के शक्ति रूपों में से एक है।
4. भोजन की देवी माता अन्नपूर्णा है। जो हमे भोजन प्रदान करती हैं। माता पार्वती के रूपो में से एक यह रूप भी है।हमारे जीवन के लिए
आहार प्रदान करने वाली देवी का स्वरूप माना जाता है।
5. नवरात्रि के पहले दिन माता पार्वती का रूप शैलपुत्री के नाम से जाना जाता है, जो हिमाचल क्षेत्र की एक राजकुमारी के रूप में पूजा जाता है। क्योंकि माता शैलपुत्री हिमालय के राजा हिमवान और एक पर्वतीय राजकुमारी मेनावती के घर हुआ था।
माता पार्वती ने कितने जन्म लिए |Mata Parvati Ne Kitne Janam Liye
माना जाता है कि माता पार्वती ने सिर्फ एक ही जन्म लिया है।
पर देखा जाए तो माता पार्वती का पहला जन्म महादेव (भगवान शिव) की पत्नी भवानी के रूप में हुआ था। इसके पश्चात, उन्होंने खुद के आत्मज्योति को माता सती के रूप में प्रकट किया था और फिर उसके बाद उनका जन्म माता पार्वती के रूप में हुआ था।
FAQ
Q. माता पार्वती के पिता का नाम क्या है?
माता पार्वती के पिता का नाम “हिमवान” है।
Q. माता पार्वती का जन्म कहा हुआ था?
माता पार्वती का जन्म हिमाद्रि (हिमाचल प्रदेश) के क्षेत्र में हुआ था। जिसे शैलपुत्री के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि माना जाता है कि उनका जन्म हिमवान, हिमाचल प्रदेश के राजा, और मेनावती, एक पर्वतीय राजकुमारी थी । उन्हीं के घर में माता पार्वती का जन्म हुआ था। इस विशेष रूप में माता पार्वती का विशेष पूजन किया जाता है जो नवरात्रि के पहले दिन किया जाता है।
Q. माता पार्वती किसकी पत्नी है?
माता पार्वती भगवान शिव की पत्नी है।
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