ठाकुर अनुकुलचंद्र: एक प्रेरक संत का जीवन|श्री श्री ठाकुर अनुकूलचंद चक्रवर्ती

ठाकुर अनुकुलचंद्र: ठाकुर अनुकुलचंद्र एक महान भारतीय चिकित्सक, दार्शनिक, आध्यात्मिक नेता और सत्संग संस्था के संस्थापक थे। जिनका जन्म बांग्लादेश के हेमयतपुर गांव में 14 सितंबर 1888 को  हुआ था। बाद में उन्होंने कलकत्ता मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की डिग्री प्राप्त की। जिसके बाद इन्होंने अपना समय चिकित्सा के क्षेत्र में दिया, और कुछ समय तक चिकित्सा का अभ्यास किया और फिर बाद में उन्होंने अपना रुख आध्यात्मिकता की ओर मोड़ा और कार्य शुरू किया।
आध्यात्मिक की दुनिया में कदम रखते ही उन्होंने 1922 में, झारखंड के देवघर जिले में सत्संग संस्था की भी स्थापना की। और अपना जीवन आध्यात्मिक ज्ञान और मानव कल्याण के लिए ही समर्पित रखा था।
ठाकुर अनुकुलचंद्र ने अपने आध्यात्मिक जीवन में सात सिद्धांतों का प्रचार किया –

1. ईश्वर सर्वशक्तिमान हैं।
2. आत्मा अमर है।
3. प्रेम ही ईश्वर का सच्चा स्वरूप है।
4. सभी मनुष्य समान हैं।
5. सेवा ही सबसे बड़ा धर्म है।
6. सत्य ही परम विजय प्राप्त करता है।
7. अहिंसा ही जीवन का मार्ग है।

ठाकुर अनुकुलचंद्र के ये सात सिद्धांत उनके संस्था में अति लोकप्रिय हुए। इसके साथ ही साथ ठाकुर अनुकुलचंद्र ने अनेकों भजन और कविताएं भी लिखीं, जिनका उनके सत्संग में हमेशा ही कथा होती रहती है।
ठाकुर अनुकुलचंद्र आपके और हमारे जैसे लाखों लोगों के लिए प्रेरणा के स्रोत हैं।

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अनुकूल ठाकुर (श्री श्री ठाकुर) की प्रार्थना:

अनुकूलचंद ठाकुर प्रार्थना 1

हे श्री श्री ठाकुर, आप ही परम ईश्वर हैं।
आप ही सृष्टि के कर्ता, पालक हर्ता हैं।

आप ही ज्ञान, शक्ति और प्रेम के स्वरूप हैं।
आप ही हमारी आत्मा के परमआत्मा हैं।

हम आपके चरणों में नमन करते हैं।
हमें सत्य, प्रेम और करुणा का मार्ग दिखाएं।

हमें अहंकार, लोभ और मोह से मुक्ति दिलाएं।
हमें आपके सच्चे भक्त बनाएं।

अनुकूलचंद ठाकुर प्रार्थना

हे श्री श्री ठाकुर, आप ही परम प्रकाश हैं।
आप ही अंधकार को मिटाते हैं।

आप ही ज्ञान और समझ का दीप हैं।
हमारे हृदय में आपका प्रकाश जलाएं।

हमें अज्ञानता और अंधविश्वास से मुक्ति दिलाएं।
हमें सत्य का मार्ग दिखाएं।

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Author: Allinesureya

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