नवकार मंत्र, जिसका दूसरा नाम “णमोकार मंत्र” तथा ‘पंच परमेष्ठि नमस्कार’ भी है, जो जैन धर्म में एक महत्वपूर्ण मंत्र का स्थान रखती है। और यह मंत्र जैन धर्म के सभी लोगों के लिए, सभी आचार्यों और सारे तिर्थंकरों को समर्पित है।
“णमो अरहंताणं, णमो सिद्धाणं,
णमो आयरियाणं, णमो उवज्झायाणं,
णमो लोए सव्वसाहूणं”
Namo Arihantanam, Namo Siddhanam, Namo Ayyariyanam, Namo Uvajjhayanam, Namo Loe Savvasahunam”
नवकार मंत्र का अर्थ
अरहंताणं : उन आचार्यों को मेरा नमन जो अनेक बुराइयों से मुक्त हैं।
सिद्धाणं : उन आत्माओं को मेरा नमन जिसने मोक्ष प्राप्ति किया है।
आयरियाणं : उन आचार्यों को मेरा नमन जो हमेशा धर्म का प्रचार करते रहते हैं।
उवज्झायाणं : मेरा उन गुरुजन को नमन है जो सभी को धार्मिक शिक्षाएं देते हैं।
लोए सव्वसाहूणं : मेरा सभी साधुओं को भी नमस्कार है।
नवकार मंत्र के रचयिता कौन है?
नवकार मंत्र के रचयिता वैसे तो कोई भी नहीं है। क्योंकि यह मंत्र तो शाश्वत है। जो कि अनादिकाल से जैन धर्म में प्रचलित है। जीसमें कुल 68 अक्षर हैं। तो देखा जाए तो नवकार मंत्र अपने आप में ही एक संपूर्ण मंत्र है।
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नवकार मंत्र इतना शक्तिशाली क्यों है?
यह सवाल आपके मन में भी जरूर होंगे की आखिर जैन धर्म में नवकार मंत्र का इतना महत्व क्यों है? तो मैं आपको बता दूं यह मंत्र वैसे तो एक अन्य मंत्रों की तरह है पर इसके कुछ महत्व हैं। जिसके बारे में आपको भी जानना चाहिए। इसके मंत्रों के गुणों को ज्यादा महत्व दिया गया है। इस मंत्र का उद्देश्य अहंकार और शक्तिशाली व्यक्तियों को छोड़ कर आध्यात्मिक रूप से प्रगति को द्वार बताया गया है।
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