कान्हा जी के लोकप्रिय भजन लिखे हुए
मेरी लागी श्याम संग प्रीत| Meri Lagi Shyam Sang Preet
मेरी लागी श्याम संग प्रीत
ये दुनिया क्या जाने…2
Meri Lagi Shyam Sang Preet
Ye Duniya Kya Jane…2
क्या जाने कोई क्या जानें…4
मुझे मिल गया मन का मीत
ये दुनिया क्या जाने…2
Kya Jane Koi Kya Jane…4
Mujhe Mil Gaya Maan Ka Meet
Ye Duniya Kya Jane…2
मेरी लागी श्याम संग प्रीत
ये दुनिया क्या जाने…2
Meri Lagi Shyam Sang Preet
Ye Duniya Kya Jane…2
छवि लखी मैंने
श्याम की जब से..
Chhavi Rakhi Maine
Shyam Ki Jab Se..
भई बावरी मै तो तब से..
बांधी प्रेम डोर
मोहन से..
Bhai Bavari Mai To Tab Se
Bandhi Prem Dore
Mohan Se..
नाता तोड़ा मैंने जग से
है ये कैसे पागल प्रीत
ये दुनिया क्या जाने…
Nata Toda Maine Jag Se
Hai Ye Kaise Pagal Preet
Ye Duniya Kya Jane…
मेरी लागी श्याम संग प्रीत
ये दुनिया क्या जाने…
Meri Lagi Shyam Sang Preet
Ye Duniya Kya Jane…
मोहन की सुंदर सूरतिया
मन में बस गए
मोहिनी मुरतिया
Mohan Ki Sundar Suratiya
Mann Mein Basa Gayi
Mohini Muratiya
लोग कहे मै तो भई बावरिया
जब से ओढ़ाई श्याम चुनरिया
Log Kahe Mai To Bhai Bavariya
Jab Se Odhai Shyam Chunariya
मैंने छोड़ी जग की रीत
ये दुनिया क्या जाने..
Maine Chhodi Jag Ki Reet
Ye Duniya Kya Jane..
मेरी लागी श्याम संग प्रीत
ये दुनिया क्या जाने…
Meri Lagi Shyam Sang Preet
Ye Duniya Kya Jane…
हर दम अब तो रहूं मस्तानी
लोक लाज सब देनाही बिजरानी
Har Dam Aab To Rahun Mastani
Lok Laj Sab Deenahi Bisrani
रूप रासी अंग अंग समानी
हैरत हैरत रहूं दीवानी
Roop Rang Ang Ang Samaani
Hairat Hairat Rahun Deewani
मै तो गाऊ खुशी के गीत
ये दुनिया क्या जाने
Mai To Gau Khushi Ke Geet
Ye Duniya Kya Jane
मेरी लागी श्याम संग प्रीत
ये दुनिया क्या जाने…
Meri Lagi Shyam Sang Preet
Ye Duniya Kya Jane…
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे
हरे रामा रामा रामा हरे हरे
Hare Krishna Hare Krishna Krishna Krishna Hare Hare
Hare Rama Hare Rama Rama Rama Hare Hare
यमुना जी तो करी करी आरती लिरिक्स
जनिए कैसे हुईं राधा जी की मृत्यु
Kanhaji ke lokpriya bhajan likhe huy
So what needs to be looked at here is whether such imagined scenarios end up focusing on two men pleasuring the woman,セックス ロボットor whether it comprises a “bait and switch” maneuver in which the fantasizer perceives himself as the principal sex object—or whether he’s viewing himself,