Mahadev 108 Naam|Shiv 108 Names In Hindi|Shiv Bhagwan Ke Naam|Shiv Ji

Shiv Ji: भगवान शिव हिन्दू धर्म के त्रिदेवों में एक महत्वपूर्ण और आदिशक्ति हैं। वे ब्रह्मा, विष्णु, और महेश्वर के रूप में त्रिदेवों के प्रमुख भाग्य स्थानीय हैं और अपने अद्वितीय स्वभाव के लिए जाने जाते हैं।

शिव के स्वरूप और महत्व:

भगवान शिव को आदियोगी, महाकाल, नीलकंठ, रुद्र, भैरव, शंकर, शम्भु, नटराज, गिरीश, त्रिपुरारी, और उमापति आदि अनेक नामों से पुकारा जाता है। उनका साधकों द्वारा नामरूप के पारे का अनुभव किया जाता है।

भगवान शिव के चित्र में एक आँगुली के बीच तीनों नेत्र, एक अघोरी तांत्रिक के साथ उनकी विशेषता बढ़ जाती है जो उनके दूसरे रूपों को दर्शाता हैं। उनके नेत्रों का एक आँगुली के बीच बिना किए बहना नेत्रज्योति को संगतिरेखा पर पहुंचाता है, जिससे उनका संगम और आदिशक्ति का सिद्धांत प्रतिदिन की जीवनशैली में दिखता है।

महेश्वर का रूप

भगवान शिव को महेश्वर भी कहा जाता है, जिसका अर्थ होता है ‘ब्रह्मा, विष्णु और महेश का स्वामी’। उन्हें सृष्टि, स्थिति, और संहार का अद्वितीय शक्तिमान भी माना जाता है। महेश्वर का रूप संसार के सारे कार्यों को नियंत्रित करने वाला होता है और उनका साकार रूप संसार के सृष्टि-स्थिति-संहार को दर्शाता है।

नटराज रूप

भगवान शिव के नटराज रूप का वर्णन तांडव नृत्य के साथ जुड़ा हुआ है, जिसे वे तांडवनृत्य के राजा के रूप में प्रकट होते हैं। इस रूप में उनके एक पैर की ऊँचाई से दूसरा पैर सृष्टि को प्रतिष्ठित करता है और तीसरा पैर संसार के अधीन रहने की संकेत है। एक हाथ में डमरू, और दूसरे हाथ में अग्नि की ज्वाला, तृतीयक हाथ में पिनाक, और चौथे हाथ में अभयमुद्रा होती है। इस नृत्य रूप के माध्यम से वे सृष्टि के चक्र को प्रशंसा और विनाश का प्रतीक होता है।

अर्धनारीश्वर रूप

शिव जी अपने अर्धनारीश्वर रूप में परम पुरुष और परम प्राकृति के अंश हैं।

शिवजी के 108 नामों का जाप shivji की पूजा आराधना में किया जाता है और इसे “शिव सहस्त्रनाम” भी कहा जाता है। यहां आपको शिवजी के 108 नाम बताए गए हैं:-

1. शिव

2. महेश्वर

3. शंकर

4. शम्भु

5. पिनाकपाणि

6. खगेश

7. भूतेश

8. भव

9. रुद्र

10. उग्र

11. भीम

12. भीमपराक्रम

13. आधिदेव

14. महादेव

15. देवेश

16. देवभूतेश

17. धूमकेतु

18. वृषाकपिः

19. शैलेश 

20. कैलास

21. कृशानु

22. वज्रदंष्ट्र

23. वज्रनख

24. महाकपिः 

25. पशुपति

26. गिरीश

27. शिपिविष्ट

28. प्रभु

29. ईश्वर

30. विक्रमी

31. अंतर्यामी

32. सुमुख

33. तत्त्वमाय

34. सर्वज्ञ

35. सर्वगम्भीर

36. सर्वभूतात्मा 

37. सूक्ष्म

38. सूक्ष्मात्मा

39. अंतकरोमा 

40. शिकण्डी 

41. असंस्थित

42. नित्य

43. अक्षर 

44. योगिश

45. योगी

46. निराधार 

47. कर्ता 

48. कारण

49. नित्यशुद्ध

50. करण

51. करणात्मा

52. विकर्ता

53. गहन

54. गुह्य

55. व्यक्त

56. अव्यक्त

57. संयोगी

58. सर्वकारण 

59. सनातन

60. योगी 

61. निराकार

62. धन्य

63. निर्लय

64. निरापेक्ष

65. निर्गुण

66. श्रीमान 

67. अप्रमेय 

68. न्यक्तात्मा

69. निर्दोष

70. नित्यबुद्ध

71. सत्यधर्मा

72. त्रैलोक्यधारी

73. त्रिलोकधृत

74. ब्रह्मा

75. ब्रह्मन

76. ब्रह्मविद्या

77. महाकोशा

78. महायोगी

79. महामाया

80. अनात्मा

81. महातेजा

82. महापापहा 

83. महानीयमा

84. महायज्ञो 

85. महात्मा 

86. महाहव्याहृतिः

87. स्तुतिः

88. पुरुषः

89. सर्वजीवनाथ

90. यज्ञ

91. यज्ञपतिः

92. यज्ञगुह्य

93. यज्ञेश

94. यज्ञभृत

95. यज्ञकृत

96. यज्ञगुह्यः 

97. यज्ञसाधन

98. यज्ञान्तकृत

99. यज्ञगर्भः

100. यज्ञसाधन

101. ज्ञवाहनः 

102. यज्ञभुक् 

103. यज्ञसाधकः

104. यज्ञान्तकृत 

105. यज्ञभृतां वरः

106. यज्ञकृत

107. यज्ञभुक्य 

108. यज्ञसाधनः

ये भगवान शिव के 108 नाम जो उनकी महिमा और शक्तियों को प्राथना करने के लिए प्रयुक्त होते हैं।

यहां महादेव के बारे में कुछ महत्वपूर्ण जानकारी है:

1. नाम और अर्थ

   महादेव का अर्थ होता है ‘महान देव’ या ‘परमेश्वर’। इस नाम से भगवान शिव की महत्वपूर्णता और शक्ति को दर्शाया जाता है।

2. त्रिदेवों का एक स्वामी

   भगवान शिव को त्रिदेवों में एक माना जाता है, जो ब्रह्मा, विष्णु, और महेश के रूप में सम्पूर्ण सृष्टि, स्थिति, और संहार के स्वामी होते हैं।

3. नीलकंठ

   महादेव का एक अन्य प्रसिद्ध नाम ‘नीलकंठ’ है, जो उनके नीले गले के कारण प्राप्त हुआ है। इसका कारण वे हालाहल (क्षीर सागर मथन से उत्पन्न विष) का पान करते समय उनका गला नीला हो गया था।

4. आदियोगी

   महादेव को आदियोगी भी कहा जाता है, जिससे उनका ध्यान और साधना मुक्ति की प्राप्ति में सहायक होता है। उनके आदियोगी स्वरूप ने उन्हें आत्मा के उद्दीपन के लिए प्रसिद्ध किया है।

5. शिव पुराण

   महादेव के बारे में विस्तृत ज्ञान प्रदान करने वाला ‘शिव पुराण’ नामक ग्रंथ है। यह ग्रंथ उनके लीलाएं, तांत्रिक उपासना, और महादेव के विभिन्न रूपों की विविधता से जोड़ कर देखा जाता है।

6. पञ्चाक्षर मंत्र

   महादेव का प्रमुख मंत्र है “ॐ नमः शिवाय” 

जो पञ्चाक्षर मंत्र कहलाता है। इस मंत्र का जाप करने से भक्त महादेव के प्रति श्रद्धा और भक्ति में बढ़ता है।

7. शिवलिंग

   भगवान शिव की पूजा में शिवलिंग का विशेष महत्व है। यह स्थाई रूप से महादेव का प्रतीक है और उनकी अद्वितीयता को प्रतिष्ठित करता है।

8. अर्धनारीश्वर रूप

   शिव का अर्धनारीश्वर रूप विष्णु के साथ जोड़कर उनकी पतिव्रता शक्ति पार्वती के साथ मिल जाता है। इस रूप में उन्हें पुरुष और प्रकृति का समरस रूप में दर्शाया गया है।

9. कैलास पर्वत

   महादेव का प्रमुख स्थान कैलास पर्वत है, जो हिमाद्रि पर्वत श्रृंग में स्थित है।

Author: Allinesureya

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