Om Jai Jagdish Hare Aarti|ॐ जय जगदीश हरे आरती

ओम जय जगदीश हरे: “ॐ जय जगदीश हरे” भजन बहुत ही प्रसिद्ध भक्ति भजन है। जिसे आरती के रूप में गाया जाता है। यह भजन भगवान विष्णुजी की आराधना के लिए है और इसका अर्थ है “हे जगदीश, आपका मेरे जीवन में आभार है , हे हरि, मै आपकी आराधना करता हूं”।

भजन के मुख्य लाइन

ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे।  

भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट॥

क्षण में दूर करे, ओंकार स्वरूप।  

भक्ति में शक्ति दे, शांति प्रदान करो॥

जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे।  

भक्त जनों के संकट, दास जनों के संकट॥

इस आरती का प्रसार साधना विशेषकर विष्णु मंदिरों में होता है। वैष्णव समुदाय में जन्माष्टमी और दीपावली के दिन इस गीत की गुणगान जोरो शोरो में होती है।

यह आरती का उच्चारण करना और सुनना भगवान की महत्वपूर्ण आशीर्वाद दिलाता है, जिससे व्यक्ति को आत्मिक शांति, सफलता और ध्यान में स्थिरता प्राप्त होता है।

ओम जय जगदीश हरे आरती

ओम जय जगदीश हरे

स्वामी जय जगदीश हरे

भक्त जनों के संकट

 दास जनों के संकट

क्षण में दूर करें

ओम जय जगदीश हरे

ओम जय जगदीश हरे

 स्वामी जय जगदीश हरे

 भक्त जनों के संकट

दास जनों के संकट 

क्षण में दूर करें 

ओम जय जगदीश हरे

जोधावे वह पाव

दुख बिन से मन का

स्वामी दुख बिन से मन का

सुख संपति घर आवे

सुख संपति घर आवे

कष्ट मिटे तन का

ओम जय जगदीश हरे

मात-पिता तुम मेरे

शरण गंहू किसकी

स्वामी शरण गहूं किसकी

तुम बिन और न दूजा

 तुम बिन और न दूजा

आज करूं किसकी

ओम जय जगदीश हरे

तुम पूरण परमात्मा

तुम अंतर्यामी

स्वामी तुम अंतर्यामी

पार ब्रह्म परमेश्वर

पार ब्रह्म परमेश्वर

तुम सबके स्वामी

ओम जय जगदीश हरे

तुम करुणा के सागर

तुम पालनकर्ता

स्वामी तुम पालनकर्ता

मैं मूर्ख ख़लकामी

मैं सेवक तुम स्वामी

कृपा करो भर्ता 

ओम जय जगदीश हरे

तुम हो एक अगोचर

सबके प्राणपति

स्वामी सबके प्राणपति

किस विध मिलूं दयामय

किस विध मिलूं दयामय

तुमको मैं कुमति

ओम जय जगदीश हरे

दीनबंधु दुख हर्ता

ठाकुर तुम मेरे

स्वामी रक्षक तुम मेरे

अपने हाथ उठाओ

अपनी शरण लगाओ

द्वारा पड़ा तेरे

ओम जय जगदीश हरे

विषय विकार मिटाओ

पाप हरो देवा

स्वामी पाप हरो देवा

श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ

श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ

संतन की सेवा

ओम जय जगदीश हरे

ओम जय जगदीश हरे

स्वामी जय जगदीश हरे

भक्त जनों की संकट

 दास जनों के संकट

क्षन में दूर करें 

ओम जय जगदीश हरे

ओम जय जगदीश हरे

 स्वामी जय जगदीश हरे

भक्त जनों के संकट

 दास जनों के संकट

 क्षण में दूर करें 

ओम जय जगदीश हरे

Om Jay Jagdish Hare Aarti

    Om Jay Jagdish hare

  Swami Jay Jagdish hare

  Bhakt janon ke Sankat 

  Daas janon ke Sankat

  Chhan mein dur Karen

   Om Jay Jagdish hare

  Om Jay Jagdish hare

  Swami Jay Jagdish hare

  Bhakt janon ke Sankat 

   Daas janon ke Sankat

   shhan mein dur Karen

  Swami Om Jay Jagdish hare

Jo dhyave phal paave

  Dukh bin se man ka

  Swami dukh bin se man ka

 Sukh sampatti Ghar Ave

 Kasht mite tan ka

 Om Jagdish hare

 Maat pita Tum mere

Sharan gahon kiski

Swami Sharan gahon kiski

Tum bin aur na duja

Aas karo jiski 

Om Jay Jagdish hare

Tum purn Parmatma

Tum antryami

Swami Tum antryami

Braham parmeshwar

Tum sabke Swami

 Om Jay Jagdish hare

Tum Karuna ke Sagar

Tum palan karta

Swami Tum palan karta

Main murkh khal Kami

Main Sevak Tum Swami

Kripa Karo bharta

Om Jay Jagdish hare

Tum ho ek agochar

Sabke pranpati

Swami sabke pranpati

Kis vidh Milo dayamaay

Kis vidh Milo dayamay

Tumko main kumati

Om Jay Jagdish hare

Dinbandhu dukhharta

Thakur Tum mere

Swami rakshak tum mere

Apne hath uthao

Apni Sharan lagao

Dwar pada tere

Om Jay Jagdish hare

Vishay vikar mitao

Papharo Deva

Swami paapharo Deva

Shradha bhakti badhao

Shradha bhakti badhao

Santan ki seva

Om Jay Jagdish hare

Om Jay Jagdish hare

Swami Om Jay Jagdish hare

Bhakt janon ke Sankat

Daas janon ke Sankat 

shhan mein dur Karen

Om Jay Jagdish hare Swami 

Om Jay Jagdish hare 

bhakt janon ke Sankat 

Daas janon ke Sankat 

shhan mein dur Karen 

Om Jay Jagdish hare

Author: Allinesureya

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