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हिंदू धर्म में अनेकों पौराणिक कथा हैं जिनमे से एक कथा है पीपलाद ऋषि के बारे में, जिस पर आज हम चर्चा करेंगे। पीपलाद ऋषि भगवान विष्णु के बड़े भक्त थे। जिनके पिता का नाम हिरण्यकश्यप था। हिरण्यकश्यप एक राक्षस राजा थे, जिसने पीपलाद ऋषि को बहुत सताया था। पीपलाद ऋषि भगवान विष्णु की पूजा अर्चना करते थे जिसका नतीजा था हुआ की उन्हे भगवान विष्णु ने ही हिरण्यकश्यप की क्रूरता से बचाया था। जिसके बाद पीपलाद अपने कार्यों में आगे बढ़ कर लोगों को सत्य और धर्म की शिक्षा का प्रचार प्रसार किया।
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पिप्पलाद ऋषि की कथा|पिप्पलाद ऋषि की प्रसिद्ध कहानियां
पिप्पलाद ऋषि एक अनुशासन पूर्ण ऋषि थे जिस कारण उन्होंने अपने जीवन में अनेकों कठोर तपस्याए की थी। उनकी कठोर तपस्या से एक बार उन्होंने सूर्यदेव को प्रसन्न किया था। जिसके बाद सूर्यदेव ने उन्हें वरदान दिया की वे सदैव ही युवा रहने का वरदान दिया था और इसके साथ ही उन्होंने ऋषि पिप्पलादको अति शक्तिशाली बनने का भी वरदान दिया था। जिसके बाद पिप्पलाद ऋषि सदा ही युवा रहते हैं और वे सबसे शक्तिशाली भी रहते हैं।
कुछ ऐसे भी मान्यता है कि पिप्पलाद ऋषि भगवान शिव के अवतार बताए गए हैं। माना जाता है कि वे पृथ्वी पर
शिवलिंग रूप में ही अवतार लिया था और जिसके बाद भक्तों को अपने दर्शन भी दिए थे।
कुछ मान्यताएं यह भी हैं कि पिप्पलाद ऋषि पूर्व जन्म में
भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ थे। गरुड़ एक विशाल पक्षी है जिसके बड़े बड़े पंख हैं। जो भगवान विष्णु के वाहक हैं।
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