Ramayan Ki Chaupai|Ramayan Book|Ramayan Kisne Likhi|Ramayan Written By|

दोस्तों जैसे कि हम सभी जानते हैं कि रामायण भारत की एक प्राचीन काव्य ग्रंथ है, जिसके रचियेता महाकवि वाल्मीकि हैं। यह एक एक महान कृति है जिसमें भगवान श्री राम जी की जीवनी का वर्णन अद्भुत है।

रामायण भारत के लिए गौरव का प्रतीक है। जिसे महर्षि वाल्मीकि द्वारा रचित हुआ है। इस महाकाव्य ग्रंथ में विशेषकर भगवान राम, पत्नी सीता, और राम जी के परम भक्त हनुमानजी पर वर्णन करता है। रामायण की इस कहानी में भगवान रामजी के अयोध्या नगर इर्द गिर्द घूमती है, वे अयोध्या में राजा कैसे बने से लेकर उनके वनवास, सीतामाता का रावण द्वारा अपहरण, और हनुमानजी के द्वारा सीतामाता को खोजने में की गई कड़ी मेहनत तक का सफर है। इस ग्रंथ में अनेकों उदाहरण हैं, अनेकों शिक्षा है, मानवता, और नैतिकता  के सिद्धांतों की अनेकों शिक्षाएं हैं, जो सभी मनुष्यों के लिए एक मार्गदर्शक हैं।

रामायण चौपाईयाँ निम्नलिखित हैं, जिनमें प्रत्येक चौपाई को मैंने बहुत ही संक्षेप में और उनके अर्थ भी बताया है-

1. तुलसी आराधना: प्रारंभ में तुलसी भगवान की आराधना होती है, जिससे सभी साधकों को भक्ति और आशीर्वाद मिलती है।

2. राजा दशरथ के बच्चों को जन्मराजा दशरथ की तीन पत्नियों से उन्हें बच्चे होते हैं, जिनमें रामजी सबसे प्यारे होते हैं। और उनका मिथिला की राजकुमारी सीता से मिलने का समय होता है।

3. यज्ञ और राम का वनवास राजा दशरथ के द्वारा संपूर्ण अयोध्या राज्य में यज्ञ का आयोजन होता है जिसके पश्चात्, राम का वनवास घोषित किया जाता है।

4. सीताजी का हरण रावण के द्वारा साजिश के तहत सीता हरण किया जाता है।

5. हनुमान जी की भक्ति जब लंका के वाटिका में सीताजी थीं तो हनुमान जी वानर रूप धारण कर सन्देशवाहक के रूप में उनके पास पहुंच कर राम का पराक्रम का प्रदर्शन किया।

6. रावण संहार हनुमान महाकाव्य से शुरू हो कर रामजी के द्वारा रावण का संहार होना और सीताजी की हमेशा के लिए मुक्ति होना।

7. अग्नि परीक्षा लंका से वापिस लौटने के बाद, सीताजी को अपनी पतिव्रता भावना का प्रमाण अग्नि परीक्षा के माध्यम से दिया गया।

8. राम का राज्याभिषेकलंका के राजा रावण संहार के पश्चात् वापस अयोध्या में राम का राज्याभिषेक होना और राजा बनना।

9. राम और भरत का मिलन राम का भरत से पुनर्मिलन और फिर भरत का राज्य का प्रभार को संभालना।

रामायण की चौपाई|Ramayan Ki Chaupai

यहां की पंक्ति में मैंने रामायण की कुछ चौपाईयाँ इकट्ठा की है जिसे महाकवि वाल्मीकि जी के द्वारा रचित किया गया हैं। जो हमे भगवान श्रीराम जी की महिमा और उनके चरित्र को वर्णित करती हैं-

1. चौपाई सुनहु सरस्वती आतम, गुरु गुह, गुरु पद कविता गाता।

2. चौपाई मंगल भवन अमंगल हारी, द्रवहु सुदसरथ अचर बिहारी।

3. चौपाई देहिन परमानंद सुरुप, राम सीता जी के पुत्र रुप।

4. चौपाई बोलहिं राम सकोप तब चलेऊं, यह बिधि रघुकुलराज पथ में।

5. चौपाई राम नाम लखन में बसाई, विकल राज विरह में बिताई।

6. चौपाई वनवास तात सरिता बधाई, राक्षस संहार शरणाई।

7. चौपाई राम लछिमन जनक पुरी जाई, दुर्बार भवन भए बिनसाई।

8. चौपाई जानि राम भयउ पथाई, सुजसु रघुनाथ पुनि पुनि बचाई।

9. चौपाई जनकसुता परम पद पाई, निरकारि सुख सुभग सहज सुहाई।

10. चौपाई चंद्र समान जगमाही उजारा, रावण बिरात समुद्र समाना।

11. चौपाई भूषण बिभूति बार नहीं, अस समय रावण सुच सहईं।

12. चौपाई सदन राक्षस नायक बुढ़ाई, सकर भुवन समान रुप बढ़ाई।

13. चौपाई नाना मुख कीति रबि समाना, कर करीब मिलये मुख महाना।

14. चौपाई राम का भगत को भगवान, बिनु भक्ति भगवान नहीं जान।

15. चौपाई नाना रूप रावन भरोसा, लीन्हें रूप अनेक कोसा।

16. चौपाई राम सेवक सुख भयउ भाग, दीन्हें भगवान मैं माग।

17. चौपाई जब लछिमन जानकी पाई, ब्रज नंदन लहैं मिलाई।

18. चौपाई सकल देवनायक गुन गावहिं, नाना देखहिं सुर नृप बोलहिं।

Author: Allinesureya

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